टिप्पणी का शास्त्र और मनोविज्ञान भाग- एक

टिप्पणी क्या है व किस पर करें ?

टिप्पणी क्या है?
टिप्पणी का अर्थ महज अपनी कड़ी पर प्रतिक्रिया का प्राप्त होना है। टिप्पणी करना सवांद स्थापित करना है। अपनी सोच को उस विषय पर साझा करना है ।टिप्पणीयां अच्छी लगती है। चूकिं इसका मतलब है कि हमेें किसी ने पढ़ा है, हम उपयोगी लिखते है दूसरे हमारे चिट्ठे को प्रसन्द करते है सकारात्मक टिप्पणीयां अप्रत्यक्ष रूप से हमारी तारीफ है जो हम सब चाहते है। चिट्ठे की सार्थकता का विश्लेषण टिप्पणी मे होता है। आलोचना के परिवार की छोटी सदस्य टिप्पणी है। समीक्षा भी इसी परिवार की बुर्जूग है। टिप्पणी करना महज एक कला नहीं है। यह महज अपनी प्रतिक्रिया नहीं है। इसके पीछे एक मनोविज्ञान है और अर्थशास्त्र भी है।
ब्लाॅग एक निजी डायरी है,जो इण्टरनेट पर रखी जाती है एवं  सार्वजनिक की जाती है। यह जन संचार का एक सर्वश्रेष्ठ लोकतान्त्रिक  माध्यम है। जहाॅ न लिखने वाला मजबुर है न पढने वाला बाध्य है।  यह आम व्यक्ति की पत्रकारिता है।यदि हमें अपनें पर भरोसा है तो सब ठीक है।

ज्यादा टिप्पणी प्राप्त करने से ब्लाॅग सार्थक, बढिया व सफल नहीं हो जाता है। किसी पोस्ट को प्राप्त टिप्पणियों की संख्या से से आॅकना उचित नहीं है। यह आप के ब्लाॅेग की गुणवता को नहीं प्रदर्शित करता है। सभी चीजे मात्र संख्या से तय नहीं होती है। यदि पोस्ट में दम है, विषय वस्तु में दम है तो स्वतः ही धीरे धीरे इसको पाठक मिलेगें । दूसरी बात कि हम अपनी पोस्ट बहुत से लोगो को पढाना ही क्यों चाहते हैं ? हमें दूसरों की प्रतिक्रिया क्यों चाहिए ? हमारा लिखने के  कर्म पर ही तो अधिकार है। टिप्पणी प्राप्त करना ही चिट्ठा लिखने को ध्येय नहीं है। आपकी बात दुनिया में प्रस्तुत हो गई है, यह महत्वपूर्ण है।

किस चिट्ठे पर  टिप्पणी करनी चाहिए?

कही से आप ब्लाॅगर से भिन्न दृष्टिकोण रखते है तो उसकी चर्चा करेें। जब उससे ब्लाॅग की विषयवस्तु समृद्ध होती हो, ऐसी बात जरूर कहें ।जिससे छुटी बात पूरी हो ऐसे में टिप्पणी जरूर करनी चाहिए। चिट्ठे में  रहीं कमी का उल्लेख भी किया जा सकता है।आप इस पर क्या सोचते है? अपनी भिन्न सोच हो तो जरूर टिप्पणी करें ।
यद्यपि हिन्दी भाषा में लिखने वाले नये ब्लाॅगरो को प्रोत्साहन देने हेतु  टिप्पणी करना उचित  एवं आवश्यक है। ब्लाॅग जगत में टिप्पणी एक आवश्यक अंग है। मैं टिप्पणी के खिलाफ नहीं हुॅ ।

टिप्पणियों पर निम्न ब्लाॅग सार्थक व उपयोगी पाये जिनकी चर्चा बिना इस विषय पर बात पूरी नहीं की जा सकती:-
टिप्पणी करते आप अपने लिए

टिप्पणी_ करी करी न करी

चिट्ठों पर टिप्पणी न करें!

ब्लाग पर टिप्पणी का महत्व

टिपियावाली के दोहे …!

टिपेरतन्त्र के चारण

निम्न दोनों विषयों पर अगलें ब्लाॅग में चर्चा करेगें ।
टिप्पणी क्यों करें व क्या करेें ?
टिप्पणी प्राप्त करने के मंत्र

(निरन्तर…………………)

8 विचार “टिप्पणी का शास्त्र और मनोविज्ञान भाग- एक&rdquo पर;

  1. संगीता पुरी

    चिट्ठे पर टिप्‍पणी की संख्‍या नहीं .. पाठक संख्‍या देखी जानी चाहिए .. पोस्‍टों की गुणवत्‍ता पर ध्‍यान देते हुए पाठकों की संख्‍या को बढाने के प्रयास किए जाने चाहिए !!

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