लक्ष्मी तरु से स्तन कैंसर का इलाज

 

लक्ष्मी तरु लक्ष्मी तरु, सीमारुबा (वैज्ञानिक नाम- Simarouba Glauca) एक बहूपयोगी वृक्ष है जिसके सभी अंग उपयोग में आते हैं। इसके आस-पास साँप, मच्छर प्रायः नहीं आते। इसकी पत्तियाँ कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित अनेक रोगों में उपयोगी पाई गई हैं। इसके फल से रस और मदिरा बनाई जाती है। इसके बीज से लाभकारी खाद्य तेल निकाला जाता है। इससे बायोडीजल बनता है और इससे तेल निकालने के बाद बचे अवशेष को खाद के रुप में उपयोग किया जाता है। यह वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करता है और अनुपजाऊ धरती पर भी इसे उगाया जा सकता है।

लक्ष्मीतरु की छाल का बुखार, मलेरिया, पेचिस को रोकने व रक्तचाप को रोकने में टॉनिक के रूप प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों और कोमल टहनियों को उबाल कर बनाए गए काढ़े से सेकंड स्टेज तक के ब्रेस्ट कैंसर, और अल्सर सहित कई प्रकार की बीमारियों का उपचार होता है।
श्री श्री रविशंकर जी ने इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाकर लक्ष्मी तरु की खेती को प्रोत्साहित किया है। तपोवन आश्रम  की नर्सरी में  लक्ष्मी तरु ऊपलब्ध  है l

भुट्टे के बाल पथरी, मूत्र संक्रमण,प्रोस्ट्रेट एवं गुर्दों के रोग निवारण में सहायक

भुट्टे में विटामिन A,B और E, मिनरल्स और कैल्शियम काफी मात्रा में पाई जाती हैl आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है। भुट्टे के बाल का काढ़ा पथरी, मूत्र संक्रमण,प्रोस्ट्रेट एवं गुर्दों के रोग निवारण में सहायक है lप्रोस्टेट के कारण मूत्र मार्ग में होने वाली बाधा भी पूरी तरह ठीक हो जाती है इससे प्रोस्ट्रेट का ओपरेशन नहीं कराना पड़ता है l भुट्टे के बालों को रात भर भिगो कर प्रात: उबाल कर छान कर पिने पर बहुत लाभ होता है l स्वाद हेतु निम्बू का रस डालेl  एक सप्ताह में ही परिवर्तन महसूस कर सकते है l

बिल्व से ह्रदय को शक्ति,मस्तिष्क को शांति व पाचन को मजबूती

बेल  का जूस बिल्व/बेल में प्रोटीन, बीटा-कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.बेल में टैनिन, कैल्शियम, फास्फॉरस, फाइबर, प्रोटीन और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी साबित होते हैं. बेल फल के सेवन से कब्ज, बवासीर, डायरिया जैसी समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है.

बेल में एंटी-फंगल, एंटी-पैरासाइट गुण होते हैं जो कि डाइजेशन के लिए लाभकारी होते हैं. वहीं बेल में लैक्सेटिव गुण भी पाए जाते हैं. इससे पाचन के अलावा कब्ज, पेट दर्द और अपच जैसी समस्याओं से निजात पाई जा सकती है.

बेल का रस पीने के फायदे:

   1 दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव में सहायक
   2. गैसकब्ज की समस्या में राहत
   3. कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार

4  दस्त और डायरिया की समस्या में भी फायदेमंद

5. ठंडक देने का काम करता है

6 नई माँओ के लिए हितकर 

7 कैन्सर से बचाव करता है 

जूस बनाने की विधि :

गुदा निकाल कर  हाथ से मैश करके  थोडा पानी डाल कर छान लें l दूध ,दही या पानी डाल कर स्वादानुसार शक्कर , चुटकी भर काली मिर्च व सौठ डाल हिला दे l  बर्फ के २ क्यूब  डाले, शर्बत तैयार l

स्वास्थ्य की कुंजी : सहजन / मोरिंगा

सहजन:स्वर्ग का पेड़

सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना

1-विटामिन सी- संतरे से सात गुना

2-विटामिन ए- गाजर से चार गुना

3-कैलशियम- दूध से चार गुना

4-पोटेशियम- केले से तीन गुना

5-प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना

सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है , जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसके अलावा इसमें आइरन ,मैग्नीशियम और सीलियम होता है इसकी हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है

सहजन के पत्तों का रस पीकर जोडों के दर्द से बचे

इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया , साइटिका , पक्षाघात , वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है. इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होता हैl

खाएँ करी पत्ता : रहे स्वस्थ

मीठा नीम

वैज्ञानिक नाम: मुराया कोएनिजी

रसायनिक संघटन : इसमें  विटामिन ए,बी 1,बी 3, बी ९, कैल्शियम ,आयरन ,तांबा, खनिज,  फॉस्फोरस, फाइबरकार्बोहाइड्रेटमैग्नीशियम और लोहा जैसे आवश्यक पोषक तत्वों में बहुत समृद्ध हैं।

औषधीय प्रयोग :

  • अम्लता, जोड़ों में दर्द ,अपच में यह लाभदायक है l
  • हड्डियों की कमजोरी में यह रामबाण है l
  • ऐंटी-डायबिटीक, ऐंटीऑक्सीडेंट,एंटी कैंसर जैसे गुण पाए जाते है
  • करी पत्ते कार्बोराज अल्कलॉइड से भरे होते हैं जो जीवाणुरोधी, कैंसररोधी और एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों वाले यौगिक हैं।
  • करी पत्ता लीवर को सशक्त बनाता है।यह लीवर को बेक्टिरिया तथा वायरल इन्फेक्शन से बचाता है। इसके अलावा यह फ्री रेडिकल्स ,  हेपेटाइटिस , सिरोसिस आदि कई प्रकार की बीमारियों से लीवर को बचाता है।

           इसलिए प्रतिदिन प्रात: एक ग्लास करी पत्ता का रस पीए एवं स्वस्थ रहे l