थकान मिटाने घर पर बनाए हर्बल चाय

यह  प्रसिद्ध जैन तीर्थ सम्मेदशिखर की 20 किमी0 पैदल यात्रा करने पर पिलाई  जाती  है
। यात्री थकान उतार कर पुनः
10 किमी0 चलते हैं । यह हानिरहित बढि़या हर्बल चाय है।यह एक आयुर्वेदिक पेय है जो निम्न मसालों से तैयार करें ।ठंड भगाने हेतु व शरीर को तरोताजा बनाने इसे घर पर बना सकते है l इसके सेवन से सभी प्रकार की थकान तत्काल मिट जाती है । इसे दूध के साथ या बिना दूध के भी बना सकते है l

एक कप हेतु 5 ग्राम चूर्ण लेकर 10 मिनट उबालना  है l
 50 कप हेतु ,
एक पाव ऊर्जा पेय बनाने हेतु निम्न
मात्रा में सामग्री लें

  :-

1. सौंठ – 60 ग्राम
2. काली मिर्च – 25 ग्राम
3. सौंफ – 25 ग्राम
4. धनिया – 25 ग्राम
5. तेज पता – 25 ग्राम
6. ईलाइची छोटी – 12 ग्राम
7. ईलाइची बड़ी – 12 ग्राम
8. दाल चीनी – 12 ग्राम
9. लौंग – 12 ग्राम
10. अजवाईन – 12 ग्राम
11. जायफल – 3 ग्राम
12. पीपल – 3ग्राम
इन उपरोक्त सामग्री को मिक्सी में पीस
कर पाउडर बना ले । एक गिलास पानी में एक चम्मच मिक्स पाउडर को उबाल कर स्वादानुसार
गुड या शक्कर मिलावें । इस प्रकार ऊर्जा पेय पिने के लिए तैयार है ।

उल्टा चलने से सीधा चलने की अपेक्षा छ: गुना अधिक लाभ

जहां पर साधारण जॉगिंग या रनिंग में 1000 कदम से जितनी कैलोरी कम होती है, उतनी कैलोरी मात्र 100 कदम उल्टे चलने ( बैकवर्ड वाक )से कम हो जाती है।उल्टा चलने से पंजो पर जोर आता है इससे सजगता बढती है l उल्टा चलने से  याददास्त बढ़ती है l   नाल उतरते हुए भी उलटे उतरे l इससे जोड़ों के दर्द से निजात मिलेगी और ज्यादा कैलोरी खर्च होंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि पीछे की तरफ भागने से जोड़ों पर कम दबाव पड़ता है, जिससे घुटने और पीठ में दर्द की समस्या में कमी आती है और यह फिटनेस की तरफ बढ़ने का एक आसान रास्ता है। ओरेगान यूनीवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार आगे की तरफ दौड़ने वाले लोगों के मुकाबले 80 प्रतिशत ऊर्जा खर्च करके पीछे की तरफ दौड़ने वाले लोग फिटनेस के समान लाभ अर्जित कर सकते हैं। ब्रिटेन में पीछे की तरफ दौड़ने की रेस आयोजित करने वाले जेम्स बाम्बर का कहना है कि इस तरह से दौड़ने के और भी कई फायदे हैं।

अगर सेहतमंद और फिट रहने की तमन्ना है तो आगे की तरफ भागने की बजाय पीछे की तरफ भागने का अभ्यास कीजिए। इससे जोड़ों के दर्द से निजात मिलेगी  क्योंकि जोड़ों  में  प्रयुक्त होने वाली के विपरीत मांस पेशियों को भी   कार्य करने का अवसर मिलता जिससे वे भी मजबूत होती है l इससे दिल की  सेहत भी सुधरती है l

अपने भीतर की आवाज क्यों बहुत महत्व पूर्ण हैं ?

किसी व्यक्ति को पहचानना हो, कोई नया काम शुरू करना हो, कोई बड़ा निर्णय लेना हो या किसी रोग से लड़ाई हो .. तब, ध्यान से सुने कि भीतर से क्या आवाज आती है. शुरू में आपकी बुद्धि और तर्क आड़े आएंगे किंतु धीरे-धीरे आप तर्क से परे उस परम वाणी को सुनने की सामर्थ्य पैदा कर लेंगे कि -‘अंदर से कुछ आवाज आ रही हैं ?’

जैसे किसी व्यक्ति का बीपी बढ़ा हुआ है या शुगर रीडिंग ज़्यादा आ रही हो लेकिन उसे फील अच्छी बनी हुई है. मसलन, गड़बड़ पैरामीटर्स के कोई लक्षण देह पर प्रत्यक्ष प्रकट नहीं है.. तो यकीन मानिए उसे अधिक घबराने की जरूरत नहीं है.  उसकी समस्या दीर्घकालिक नहीं, तात्कालिक ही जानिए.’कैसा लगता है’ – यह अनुभव,  हमारी स्थिति की आत्मगत खबर है और यह अक्सर सच निकलती है. लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि वह चिकित्सकीय परामर्श न ले. बस इतना ही है कि  इत्मीनान रखे.  खामख्वाह के किसी डर, वहम या फोबिया का शिकार न हो. अन्यथा वह  स्ट्रेस में आकर अपनी स्थिति को और भी बदतर कर लेगा.

आपके बाबत, आपकी सबसे सच्ची और प्रामाणिक  रिपोर्ट है- आपकी इनर वॉइस.  ‘कैसा लगता है?’

अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं या ठीक हो जाएंगे  तो सच मानिए कि आप ठीक ही हैं.

डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते थे – “ईलाज,  रिपोर्ट का नहीं.. व्यक्ति का किया जाता है “

ठीक होने का एहसास हमारी क्वांटम फील्ड में बदलाव शुरू कर देता है.

चेतना, इंटेंशन पर काम करती है.चेतना का संकल्प, पदार्थ को रुपायित कर देता है.और यह इसलिए संभव है क्योंकि पदार्थ भी अंततः चेतना ही है.एक ही मिट्टी, हवा और धूप लेकर  भिन्न-भिन्न रंग, रूप और गंध के फूल खिल उठते हैं.पौधे में अंतर्निहित यांत्रिकी, एक ही पदार्थ से अपने अनुकूल घटकों का निर्माण कर लेती है. हमारे भीतर दो तरह की बुद्धिमत्ता है एक -तर्क और अनुभव से अर्जित व्यक्तिगत बुद्धिमत्ता और दूसरी ब्रह्मांडीय प्रज्ञा.ब्रह्मांडीय प्रज्ञा, मानव शरीर या जगत के कॉन्स्टिट्यूएंट्स को अलग-अलग नहीं देखती.  वह सोडियम, पोटेशियम मैग्नीशियम की भाषा नहीं जानती.उसे जो जरूरी लगता है वह उसका निर्माण,  धूप, हवा और पानी से भी कर लेती है.

वह गेहूं के एक दाने से प्रोटीन भी बना सकती है, कार्बोहाइड्रेट भी,  स्टार्च भी, फैट भी.

इस ब्रह्मांडीय प्रज्ञा पर भरोसा रखें.बहुत बार ऐसा भी हुआ है कि जिस लकवा ग्रस्त खिलाड़ी को आजीवन अपंग करार दिया गया था वह एक वर्ष बाद कोर्ट में खेलने आ गया. श्वसन तंत्र के कैंसर से जूझ कर आए व्यक्ति ने  ऊँचे पहाड़ पर झंडा गाड़ दिया. क्यों ?

क्योंकि उन्होंने डॉक्टर्स की रिपोर्ट से अधिक अंदर से आने वाली आवाज को सुना जो कह रही थी ‘तुम ठीक हो जाओगे.’

दवाइयां सिर्फ सपोर्ट करती हैं.आपका शरीर ही आपका वास्तविक चिकित्सक है.हमारे शरीर की प्रत्येक सेल में विज़डम भी है,  हीलिंग पावर भी.डॉक्टर के पर्चे को दरकिनार न करें किंतु उसे सपोर्टिव ट्रीटमेंट माने, प्रधान नहीं.प्रधान ट्रीटमेंट तो चेतना की आवाज का लिखा पर्चा ही है.

“इनर वॉइस”  एक अंतर्भूत कॉस्मिक व्हिज्डम  है, जो हमें मालूम और ना-मालूम, सभी जानकारियों को एक साथ एनालाइज कर,  एक विश्वसनीय उत्तर देती है.इस उत्तर में हमारे कॉन्शस ज्ञान के अलावा आध्यात्मिक, अनुवांशिकीय, अवचेतन और संस्कारगत जानकारियों का डेटा भी समाविष्ट होता है.मगर यह प्रोसेसर इतना महीन है कि इस तक पहुँच,  विचारों के बहुत बड़े जखीरे के साथ संभव नहीं है.मौन, समर्पित, प्रार्थनामय  चित्त,सरल और संकल्पवान ह्रदय को यह इनर वॉइस बहुत साफ सुनाई देती है.इन सब बातों का यह अर्थ नही है कि हम अपनी रीज़निंग और मनुष्यता द्वारा अब तक अर्जित ज्ञान को बलाए ताक रख दें.किंतु तर्क के शोर में इतने भी बहरे न हो जाएं कि भीतर की आवाज को सुनने की क्षमता ही खो बैठें.

इनर वॉइस, ईश्वरीय परामर्श भी है और आशीर्वाद भी.

किडनी को शुभ कामना पत्र ताकि अपनी सेवाएँ अच्छे से   जारी रखें

प्रिय गुर्दें ,
धन्यवाद दोनों गुर्दों को ,आप जन्म से लेकर आज तक अपनी सेवाएँ निरंतर दे रहे हैं lहम तहे  दिल से आपके आभारी है l शरीर के द्रव्यों का फिल्टर आप ही करने में सक्षम है l खून का शद्धिकरण,विजातीय  उत्पादों को  बाहर फेंकना ,  शरीर में जल का संतुलन ,अम्ल एवं क्षार का संतुलन,   बी पी  का नियन्त्रण ,रक्त कणों के निर्माण में सहयोग,हड्डीयों को मजबूत बनाने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण हैं l हमारी किडनी, रक्त से विषाक्त अपशिष्ट उत्पादों को छानकर उसे शुद्ध करती हैं। ये विषाक्त पदार्थ अंततः पेशाब से विसर्जित हो जाते हैं। उनमें  से क्रीएटिनिन और यूरिया दो महत्वपूर्ण अपशिष्ट उत्पाद हैं।
 
अत:  आपको स्वस्थ रखने हेतु बी पी अर्थात रक्तचाप,शर्करा एवं  वजन नियंत्रित रखना  आवश्यक हैं l डायबिटीज़ और हाई ब्लड शुगर की बीमारी से जूझ रहे लोगों में किडनी के ख़राब होने का ख़तरा सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक होता है।
 व्यायाम आपको पुष्ट करता है lअधिक  रसायन और दवाइयाँ नहीं खानी है, शुद्ध पानी प्यास अनुसार पूरा  पीना हैl  धनिये का  रस आपको स्वस्थ बनाता है l अजवाइन ,अदरक और हल्दी आपको प्रिय है l अंगूर का रस शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है और किडनी को ठीक रखता है। रात में मुनक्के भिगोकर सवेरे उसका पानी कुछ दिनों तक नियमित पीने से भी किडनी के रोगों में लाभ मिलता है। 
अध्ययन से यह भी संकेत मिलता है कि नियमित क्रैनबेरीज खाना भी किडनी के लिए फायदेमंद होता है। इन्हें आप सलाद आदि में खा सकते हैं। नींबू, संतरे के जूस और तरबूज के रस आदि में विटामिन सी यानी साइट्रिक एसिड  होता है। साइट्रेट तत्व किडनी में पथरी की बीमारी को रोकता है। माना जाता है यह तत्व पेशाब में मौजूद कैल्शियम से मिलकर उसे महीन कर देता है, जिससे कैल्शियम एक जगह जमा नहीं होता और किडनी के रोग की आशंका कम होती है। रोज एक कप फलों का ताजा रस पीने से शरीर में पानी का स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है।
 आपको स्वस्थ रखने के लिए योग के कुछ आसन जैसे मंडूकासन, शशकासन, मुद्रासन, भुजंगासन काफी मददगार हैं। किडनी से जुड़ी बीमारियों में कपालभाति और अनुलोम विलोम के अलावा वक्रासन, मर्कटासन, त्रिकोणासन, शलभासन, कटिचक्रासन, पश्चिमोत्तासन और सूर्य नमस्कार भी सहायक  हैं।
 प्रियवर,पत्र समापन की ओर है लेकिन   बहुत महत्वपूर्ण  बात संक्षेप  में लिख रहा हूँ l गुर्दे जल तत्व का शरीर मे संतुलन रखते है जो कि अंतत :  भावनात्मक  स्थिरता के लिए जरूरी है l काल्पनिक एवं वास्तविक भय से गुर्दें एवं मूत्राशय  सबसे ज्यादा प्रभावित होते है lअत :  गुर्दो को स्वस्थ रखने हेतु भावनाओं के अतिरेक से बचना  आवश्यक है l
 गुर्दों को ढेर सारा  प्यार !
 
आपका अपना
जयंती
 (कमर के पीछे से  दोनों हाथ रख कर इस पत्र को धीरे धीरे भाव सहित  पढ़े l अपनी भाषा में उससे सम्वाद करें l अपने गुर्दो के प्रति संवेदनशील हो,उनको सुनने का प्रयत्न करें एवं अनुभव करें की इससे आपके गुर्दें पुष्ट हो रहे  है l)

स्वाद और सेहत से भरपूर हैं सहजन मोदीजी को पसंद इसके पराठे 

 सहजन से डायबिटीज कंट्रोल में रहता है और ये हार्ट के मरीजों को भी फायदा पहुंचा सकता है. इसकी पत्तियां बीपी कंट्रोल करने में मदद कर सकती हैl इसमे केल्शियम बहुत होता है इसलिए बुढ़ापे मे वरदान हैं l

सहजन एक ऐसी ही सब्जी है जो हमारे जायके को तो बढ़ाती ही है साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होती हैl सहजन के फूल से लेकर तो उसकी पत्तियां और फली तक औषधीय गुणों से भरी हुई हैंl इसके पत्तों,फूलों  एवं फलियों कि सब्जी बनती है l

इसमें ऐसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैंl साथ ही शरीर को भारी मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन-सी और पोटैशियम भी देते हैंl सहजन कई बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता हैl  इसको खाने से डायबिटीज कंट्रोल में रहती है और ये हार्ट के मरीजों को भी फायदा पहुंचाता हैl  इसकी पत्तियां भी बहुत गुणकारी होती हैं. इसकी पत्तियां बीपी कंट्रोल करने में मदद करती हैं साथ ही कैंसर के खतरे को भी कम करती हैंl  पेट दर्द और गैस से जुड़ी समस्याओं में इसके फूलों का रस पीने से फायदा होता हैl  साथ ही आंखों के लिए भी बेहद फायदेमंद हैl

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